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________________ [ १०२ ] वंस अजुयाळ प्रतिपाळ थे वीठला, रांमचंद राजि मुर भुवरण राईमा । पुरांरगा डोकरा अरज सांभळि परी, भांजिही भांजि भचक भाईया ॥२॥ केई सरवर भरौ नये सुभर करो, क्रिपा करि क्रिपा करि किसन कलियाए । मेह री ढील राखी हिमैं महमहण, __ पाप ना सरव भगतां तरणी प्राण ॥ ३ ॥ करौ जगि छळ हव छती हू केसवा, नवे घातौ नदै निरमळा नीर। . धणी सुर जेठ.... ... ... ..."रण""ध्रवी, प्रमेसर राज नां पयंपै पीर ॥ ४॥ २०-गीत पीरदांन लालस रो कहियो ___ इग्यारस रै व्रत रै महातम रो मुर दईत जागियो भुवरणां माही, देवां रै अपनी डर । । हर सुर जेठ करै सहि हेला, वहिली आर्व लाछिवर ॥१॥ देवां री तिण दीह डोकरे, परमेसर सांभाळ पुकार । निसचरना किमि करि निरदळ्यिौ , इग्यारसि अईयो अवतार ॥२॥ एकादसी उधारण प्रावी, जीवडां ध्रम असमेघ जिसौ । इग्यारसि करिस उधिरिसें, इग्यारसि रो वरत इसौ ॥ ३ ॥ राति नै दीह भजन मां रहिजे, दिनि वारिस रै देसे दान । इण जुगरी वेड़ी इग्यारसि, गोविंदा तिके प्रामिसै ग्यांन ।। ४॥ पख पख मांहि हुवै पुन प्रघळा, पीर पतग रै जोडे पाण । सिगळाई परमेसर सरिखा, इगीयारसि थारा अहिनाण ॥ ५॥
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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