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[ १०० ] ध्रम मूरति वाळा धरणीधर, नरहर तुझ तणो कोइ नाम । अनंत भगति जिरिणसां उधरिया, पीरिपोइ तिरिगना कर प्रणाम । ४॥
१५-नीत पीरदांन लालस रो कहियो साहिबा' सहि थारी सारी, वडा घिरणी जम प्रासै वारी।। खोटी वात ससारौइ खारी, आतिमा ‘मुना पारि उतारौ ॥१॥ विखै ससार तणो रस वाल्ही,' केसवराइ हुऔ हूँ काल्ही । परमेसर पातिगनां पाली, हरि रे गोढे झगडै हाली ॥२॥ केहिक होवे तो सुकिरिति करिया, जरणा रे वातां सहि जरिया। डाकरण छै ममता थी डरिया, श्रीकम साँ कितराई तरिया ॥३॥ त्रीकम अरज करां छां तूनां, मोटी अकलि समापे मूनां। जादवराव निमो जर जूनां, वैकंठ मां राखै वे खूना ॥४॥ अविगत नाथ परम पद मापे, साधा ना साज • • ........। प्रसरां एक इनेक उथाप, थर करि लंक वभीखण थापे ॥५॥ जपती रहि दसरथ रो जायो, थांभी फाडि भगत नां थायो । लाछि तणे वरि चलणे लायौ, पोरी ई परमेसर पायौ ॥६॥
१६-गीत पीरदांन लालस रो कहियो
असुरा नै सघारण रो मधकीटक मौत वडा जुध मांडण, गांजण असुर उधारण गोह। रांमण ने महिरांमरण रेसण, दईतां तणं मरण री डोह ॥१॥ खंड डंडूळ सरीखा खाफर, वळे अंगासुर कस वहि । कितरा दैत कूटिया केसव, कवियण दाखै. साच कहि ॥२॥ बळिराजा बांधण वहनामी, प्रांषण वेढि किलग सा पीर ।। समरासुर 'सगठासुर साझण, भारथः करण भगत री भीर ॥३॥ बाणासुर सरिखा' हटिया बळ, नरकासुर गिळिया निरकार। किमि करि पीर कर करणा कर, . कळ्हा रौ लेखौ करतार ॥ ४ ॥
करा देत
नामी, प्रा
. करण
निरका