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जवनां उघारै मारै जुध मान हार जद,
पसारै समद माथे परवार पाज ॥ ८ ॥ सांमिरै रुखम साठा काळा काळा जिके कांन्ह,
सघार सिंघाळा भाई कसवाळा सेख । दीसता दीनदयाळा चिरिताळा निमो देव,
___ अकरूर आळा भिळे तमासा प्रलेख ॥६॥ नारसिंघ थारो नाम फरसराम निवाज,
देखतां दुवारिका घांम सदामै रै दाम । सत्य रांम रुघराम लिखमी वामे सहेत,
गोविंदा तुहारो भल बैंकुठ री ग्राम ॥१०॥ तू हीज अकाज काज भगतांरी लाज तनां।
विसारियो केम परौ विजराज वाज। आविस्यै अनत आज गजराज उधारिवा,
निध माथै गाज करै निपाइयौ नाज ॥११॥ सास सासि विखे थारो जस वास करा सामी,
तनांई न जाणं जास तिकां थारी तास । ग्रभवास टाळे परा जमवाळा प्रास ग्यान,
आपरा पगांरी राखे पीरदास मास ।। १२ ।।
१४-गीत पीरदांन रो कहियो । हैग्रीव, वाराह, धरणीधर नरसिंहा री स्तुति अविधूत अलेख अलाह अपंपर, सिगळाई देव तुहारा संत । अत्री तणे घर रा अजुआळा, अनसोईया वाळा अनत ।।१।। काइ हो कृपा करीस कद केसव, कूड म दाखविसाच कहि । प्रारणीया हिवै भगति करिय, 'तरणा गुरण दाखि रहि ॥२॥ समति करती रखै समास, कमति करतो ढील करि । कवीयण माथे किहक क्रिपा करि, हैग्रीवा वाराह हरि ॥३॥