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घरणी करि जोर असरारण जूटा घणी,
तो वहो त्रिधारो खडग निकलक तरणी। डहिकिया डमरू दात दांते डस, .
खाग खागा सरिसि खान खाना खस । बाथ बाथां पड़े वारण वारणा बरगण,
मिलिकि मिलिका मिळे असरां मरण । वाजिया भला रिणि खेत मा वीरवर,
गाजिया रामचद किलग करता गमर । झाल सा वालिया किलगना भाटिया,
काल रे कालि कालीगना काटिया । काइमा देव साधा सरिसि काहला,
वसुह मा चालिया रगत रा वाहला। प्रधळि रिरिण खेत मा जवन पाथा पड़े,
दईत सहि धरिण रै ऊपरा दड़दई । मरडकै कलायै हाडा डा मुड',
गिले बम कीच सहि कोड कोडे गुड़। । धरिणि रे ऊपरा धडा रा धूबका, .
घिणी कुरण झालिस हे मै थारा धका । घिरणी जीवा तिणं धीक साधी वीया,
हला सा तारणीया हीसु एही विया । आलमा निमो इलि भार उतारिया,
मारका दइत सहि किलग रा मारिया। 'पहाड़ां हेठि दीन्हा परा पापिया,
इन्दरा राज वलिराउ ना आपिया । थूल ऊयापिया साध ते थापिया,
किलग रा सेन तरूपारि सा कापिया। खली रै वासतै खाड सखरी खणी,
धोख रिखां कन्है आवि वैठा धणी।
किला