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हरे हरि पेखीयो वन पावन हो,
जवन खर त्रिसररी कीयो घर जूजूपी, हरि तणी सीत ता आवि रामिरिण हरी,
फौतरा क्रस तरणी अकलि तिगिरा दिन फिरी। घिणी घिखीयो कहर वतप हाथे धरै,
* मछिरियो में आज रामण मरे । हरि तणे साथि से, .. हूंआ,
' भगत सहिति रिखि इन्दजीत वाली भूया । बाँधिनोई समद घर असुर रौ वोढियौ,
रामचदि आवि राकस घणों रोदियो । पाडिया ईत सहि खाटियो प्रवाडी,
सुरा रा धिणी तु सुरा ना सवाडौ। पालटे लंक गढ घरे आयौ परम,
कोई इणि अजोध्या तणो घिरियो करम । धिरणी ब्रह्मा तणो धानंतर वैद धन,
मरै सहि सगर राऊ वरै कपिल मुनि । बडी अवतार बलिराम वसदेव रौ,
हले खलही वियाईये ई ज हेवरी। कंस उर कापियो गयो घर कस रौ,
देवकी तणे घरि जनिमीयौ दीकरौ। कारणा भूत नर नाह जायौ किसन,
वडा भगता घरे हालि आयौ विसन । वधाई हुई भगता घरे वधाई,
जसोदा जोइ हे समद रौ जमाई। नंद उपनद नवनद ही निरखियो, .
पछै परमेस ना ब्रिज मां परिखियो । श्रीयावर सामलो हुो गोकलि छतो,
मुकू द नां मारिसा कसि कीधौ मतौ ।