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________________ [ ८३ ] अलख करिवा प्रविति नदरो पागणी, प्रभूरी जसोदा वधायौ पालणौ । वड़ो जस खाटियो सगठ दाणव वहै, त्रिणावत त्रोडियो कंस आघी कहै। कन्हईये कन्हईयै कस कासू कीयौ, पूतना तणी सहि रगत मुहडी पीयो। ग्वालीया साथि चारे प्रभू गाविड़, ___ मरै दुख माहि दईतां तणे मावर्ड। वांसले वजार्ड ब्रिज माहि विसन । रास कीला रमै कर कीला किसन । साप नां नाथि आयो घरे छोकरा, दही रो दारण ले नंद रा दीकरा । ते हीज कंस राऊ रा दईत सहि त्रोडीया, छाछि रै काजि छीका घणा छोडिया । ज्ञान माता कहै गौलिया गौलिया, वेन नव लाख रा दूध कइ ढोलिया। वाधिया जसौदा ऊखळे वलि वधरण, तुहारै वातर्ड' म्हेइ लाचे त्रिगुण । गरव ब्रह्मा तणी इन्द्र री गालियो, चरण लागौ पगे नद ना वालियो । हेक दिन पलव तु आगली हारियों, मुकद मामी भली मुथुर मा मारियो । ब्रिज तणो देस तजियो नमो वीठळा, __ मिले दुबारामती महल भुजिया भला । मह महमहण निमोगोपै सकल मारणीया, ___ रुखमणी परिणिया आठ पटराणीयां । करवा ऊपरा कोप कीधो कहर, पांडवा तरणो वेली हुयी प्रमेसर।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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