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________________ । ८१ सघारे सहस बाहु तणा दैत सहि, मौज थारी निमो दुजा ना दोध महि । भगत थारा जिके तिका दरसण भयो, जमदगन तणा जगदीस तुना जयो। विभाडी रेणका वड़ो कीघों विधन, जमदतिरपी परमेस माडे जिगिन । सपूत्रां छात कुल वाच सुध, जनिमिग्री राम दसरथ घरे करण युध । 'जनिमिया भरथ लखमण कुअर जाइया, अहे परमेस दशरथ घरे आइया । रामचद अजोध्या माहि राघव रमै, निमिरिण ब्रह्मा कर प्रावि नारद नमै । कहो किणि भांति रा धरम दसरथ किया, हमै भगता तणा घणी ठरिया हिया । ताडिका तणा जोनी सगट टालीया, पहिलड पवार्ड लिगन ना पालिया। गई अहिल्या सरगि कीर साथे गियो, धनख भाजी धिणी लाछि पिरिणे लीयो । 'लिनी वनवास हव दईत मारे लिनी, दुसटीया तणी वभीषण ना दोनो। पगारी रेण सा ऊवर पाहणा, प्रभू भीला तणी सीम मा प्राहणा। ज्यानखी निमो लखमण तरगस जड, . चक्रधर सही चित्रकोट परि चड़े। व्याधि दानव पड वन माही विसन, किताई रिखा रै घरे रहीयौ किसन । निमो गोदाउरी नदी थारा निमध, सांम ने तुहारै कही कदरौ समध ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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