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काछिवा निमो वहरूप थारा किसन,
वाढिया राह सहिदेव जीता विसन । मोहणी रूप हुइ दईत मन मोहिया,
समद मथियो सही प्रमेसर सोहिया । वाह हो वाह वाराह थारी वडिमि,
कोई हरिणख सरिस वड़ो जुध कीयो किमि । दीह कितराइ लड़ियो निमो देवता,
सवळ हरिणख जिसा किस भव स्ने वता। भगत रा सामिये असुर कद रा भगत,
राकसा न मारत घणो तुना रगत । जवन दल सिरि सिरिरिण खेत रिमियो जठे,
अधिकी तीरथ हया अविलि पगिपति उठे।। प्रभु कुरण जारिगस साचरी पारसी,
निमौ थभि नीसरे गाजियो नारसी। निमो नरसीप नरसीघ थारी निजरि,
बुड वुस दईत ना वाक फाडै बजरि । भली हौ भलौ पहिलाद थारी भगति,
सामि तु साहस श्रीयाधूज सकति । भली हौ प्रभु हरिणाख नां भीडिया,
कीया आपह जिसा नरगराकीडीया । नाभ रै रिषभ नां घणी भुजि नारीयण,
मिनिखि जोमण टळे अनेनुहु अमरण । पियि अवतार अवतार दत परमरा,
धरा राधिरणी हरि ऊपायण धेरमरा । वाह अवतार कासिपि तणा वामगा,
भगत थारा लिये सदामिदि भामणा। घिरपी थारा लिया भामणा फरस घर,
कोई खत्री तणे सीसि धिखीयो कहर ।