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________________ श्री गजसूकुमाल महामुनि चौपई १७१ चिरजीवउ गिरधरजी नउ वीर भेटया हे भेटयो पास सह फली। अतुली बल साचउ अरिहत,जीत उ हे जोतउ मोह महाबली ॥२ सा० वूठउ आज अनोमय मेह,अम्ह घरि रे अम्ह घरि अाज वधामणा । भावइ भोली नयग निहालि, भामिरिण लेती भामणा ||३|सा०॥ जय जय जग जीवन जिनच द, जादव हे जादव कुल सिर सेहरउ । मुगति रमणि उर नबसरहार जगम हे जगम सोहग देहरउ ॥४ सा० बलिहारी वार हजार, अनूपम है अनुपम नख सिख ऊपरइ ॥सा० जिनवर चरण कमल लयलीण, मोमन हे मोमन मधुकरनी परइ । ५/सा०॥ मन धरि भाव भगति भरपूर, गावड हे गावइ तुम गुरण अपछरा। प्रापइ वलि विचि विचि पासीस, जीवउ हे जीवउ कोडि संवच्छरा ||सा०॥ लागउ चोल तणी परि रग,बीजउ हे वीजउ चित न को चडइ ।।सा. करि सुरतरु संगति पारहार, कालि हे कावलि बाँवलि सू अडइ 19||सा०॥ कावलि सू खनि खावा जाड, मेदा हे मेवा मन गमता लही । सा०॥ मद वहतउ गइ घर वार, वेसर हे वेसर मन मानइ नही ।।८सा० सिर धरि परम पुरुषनी प्राण, जमची हेजमची प्रारण न को वहइ सा० करगत कौडि कनकची छोडि, काचउ हे काचउ लोह न को ग्रहइ |सा०॥ हे लवीयउ होयडउ ही रेह तेतउ हे तेतउ फिटक नरइ करइ ।।सा। काच सकल किम प्रावइ दाइ, ____जोता हे जोता पाच पटतरइ ॥१०॥सा०॥ देव कुमर घरती नंसकाइ *सूकड हे सूकड xहेक चढावीयइ ।।सा. *स्प कडि Xरांक
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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