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जिनराजरि-गति-कुसुमांजलि
विरा पूछयां मुनिवर कापड, पोनड गन सु निरधारी रे ||८ स० एक कान्ह मइ जनमीयउ रिपिजी भाषा. हिनागो रे। जोता तास पटतरउ, को नवि दीमा गाउ रागो रे मा०।। पुत्र छए जिण जननिया, तेनर छड नारि अनेरी है। साधु वचन हुवइ वृया, मुभान परतोति घग्गेरी रे ॥१॥सा०॥ नेह नवल तिम ऊलमड, तिण परि दागा मोजो रे । ए हरि ववव हू कहुँ,न हुवरइ जउ जामिरिग बाजी रे ||११||सा०॥
सर्व गाया ८७ ॥ दूना ॥ करता एम विचारणा, वडली घडी वि च्यारि । समवसरयउ प्रभु सभरवड, संसय भजगहार ।।१।। ससय तिमिर +करणहर, केवल किरण पहागु । भविक कमल प्रतिबोधिवा, ऊगउ अभिनन भागु ॥२॥ चाली सइ मुखि पूछित्रा, खरी आणि मन खति । श्री जिनराज मिल्या पखइ, किम भाजइ मन भ्र ति ||३|| च्यारे अभिगम साचवी, वधतड मन परिणाम । परदक्षिण देती करइ, इण परि प्रभु गुण ग्राम ॥४॥
सर्व गाथा ६१
ढाल ६ जीगनी जाति वाल्हेसर सिवादेवी केरउ नद, _____टोठउ हे दोठउ सजल जलद समउ-- सामलियो नेमि --पॉ० सोभागी राजुल भरतार,
मोहन हे मोहन मूरति नितु. नमउ सा॥ तुम्हे गावउ हे गाव उ मन धरि प्रेम,
जेम न हे जेम न भव सायर भमउ ॥शासा० *भापिस xन हुवै मृपा +निकर हरण -भरयो