________________
जीव शिक्षा
छोरउ वणकर गल बांही बे,
योवन धन घन लूटयउ काही बे || ३ || वाहर चाढउ शुभ लाही, बे, न घिरइ धन जाही ताही बे |४| जागउ' जिनराज' मसांहो बे, आयउ सिरि सूर सव्वांही बे ॥ ५ ॥
जीव शिक्षा
राग - गूजरी
मैरउ जीव परभव थइ न डरइ । विथा करम बांधति बडूआ' जिम,
मुह मइ किछु न परइ ॥ १ ॥ मे० ॥ दउरी दउरो अउरन की अउरति, देखण चाह धरइ । नवला नेह करि फिरि पचतावत,
011
जब लालन विछुरई || २ || मे० ॥ मइ क्या सीख दिउ नयनन कु, जउ मन मउज करइ । वखत लिखि 'जिनराज' - तखत तई,
2
टारत ही न टरइ || ३ || मे० ॥
·
परदेसी गीत
राग - धन्यासी
परदेसी मोत न करीयइ री,
करोयइ तउ विरह न डरीया री ॥ १ ॥ प० ॥
१- बटुआ २- मुनिराज