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खदरी, बदरी, कदंब, निम्ब । जत्र, जंबीर, वानोर, कणवीरू । रक्षा, अक्ष, प्लक्ष,अखा श्रोवट, कुटज । पटोली, पनस, वैतस । पलास, सल्लकी, अकोल, किकिल । नागवल्ली, गिरिकर्णिका, कर्णिकार, सिंदुवार, मंदार । कोविदार, कल्हार, दाडिमी, करुणा, वरुणा । कपित्य, अपत्य, किकिरात, पारिजात । पटाजा, सपूला, मालती, पद्मस्थल । पद्म तिलक, बकुल प्रभृति वनु । पुष्पित, फलितु, मंजरितु, पल्लवितु । स्निग्धच्छाया, सश्रीक, साड्वलं, निचय, पत्र बहुल । परिमल पवित्र सपुष्प सफल, अनेक पथिक विश्राम मूर्ति । विविध पक्ष कुलाचार, दृष्टि आनंदक । मन सतोषक, एवं विध प्रधान वृक्षा ॥ ६५ ॥ (मु०) '
३१ आराम-वर्णन (२) सच्चायु महाकायु लताकीर्ण द्रुम संकीर्ण पल्लवितु कन्दलितु पुष्पितु फलितु सजनु शीतलु साड्वलु इसउ उद्यान वनु । ( पु० अ०)
३२ सुगंध वृक्ष नाम (१) जाई, जूही, जासूल, नाग, पुनाग, चंपो, दमणो, वालो, वेल, पाडल, कुंद, मचकुंद, केतकी, केवडो, मोगरो, मालती,' मरुभो, गुलवास, सेवत्री, शतपत्र, सहस्रपत्र, सहकार प्रसुख एहबू वन छै। तेहना फल केहवा छई १
" रुडा, रगीला, मीठा, मधुरा,२ फूटरा, फरहरा, पाका, पड़वाडा सुंहाला, सुगंध, सुकोमल, सदाकर, फूल, फल, पत्र, माल, प्रवाल, पल्लव. मकरंद, मनरि' पराग, परिमल, छाया, सोहामणी । एहवू वन तिहा स्त्री क्रीड़ा करै छ।
३३ सुगंध वृक्ष नाम (२) कायर प्रवर । कुद, मुचकुद ।
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---गुलाव -~- खाटा। प्रति (की ) में अकित नामों के बाद ये नाम
विशेष है।