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( २६७ )
खांड वाणी, साकर वाणी । एलची वाणी, कपूरवासित पाणी ॥
करती झाककमाल, हिवह परीसइ साल || नवनवी भाति, पिण कहु कितरीक तेहनी जाति ||
शालि वर्णन
सुगध शालि, कुक्कु शालि ।
कलमली शालि, तिलचासी शालि || जीरा शालि, कुछ शालि । राय भोग शालि, गुचडा शालि || देवजीर शालि, धूम मोगरा शालि । केतकी सालि, नीलउनी सालि || चद्र शालि, स्वेत शालि ॥ पीत शालि, सट शालि ॥
नील शालि, भट्टा शालि ॥
शुद्ध शालि, कौमुदी शालि ॥
साठी चोखा, मुंजी चोखा, खड चोखा ॥
शालिकर
इसी शालि कुर, ग्राणीयइ भरपूर || प्रणीयालय, सूत्रालउ, सुरहउ, फरहउ |
सुगंध, परीसइ मुध ॥
दूबली स्त्री खडबड, सुत्रलीये छडयउ || हलवे हाथे सोहयउ, जा लगें मन मोउ ॥ नखवती वीणीया, सुघड स्त्रीये चीणीया । फूटरी सी स्त्री धोया, हिनूई स्त्रीयइ जोया ॥ भली भाँति ऊराया, राधता जब कस श्राया । तत्र चतुर स्त्री उतारी, भलइ वस्त्र सुंभारी ॥ सरस सुकोमल उज्जलड, वि उगलउ ॥ एहवउ कूर, परीसइ भरपूर ॥
हिव परीसइ दाल, सोहइ स्वर्णनइ थाल || मडोवरा मूंगतणी त्रिछडी टालि, माधुर्य तणी पालि || नानि पीली, परिणाम सीली ||