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(२६६) वली पकवान आणइ, तेहना नाम वखाणइ ॥ सुहाली नइ सेव, परीसी रूडी टेव ।। वलि परीस्या फीणा, अत्यत झीणा ।। सदर .." , नही का खोट ॥ ठमकते नेउर, परीसइ घेउर । तलिया गूढ, जाणे अमृत ना वृट ॥ भरि २ ग्राणइ तबाक, सखग गृढपाक ।। पडसूधी नइ साकली, जिंमता नह थायइ याकुलि, वली गुलगुला, स्वाटइ भला || दही वडा, गूढ वडा ॥ माडा नइ मुरकी, उपग ल्यइ भन्मार्कनी भुरकी ॥ ऊन्हा कसार, ... ... ॥
सूंखडी परीसइ मोहन भोग, वृद्धा नइ जोग ।। परीसइ चूरिमा, जिमता वाधइ करिमा । दधिवर्ण दहीथरा, जिमता । ग्वुरमा नइ खीर, जिमता वाधी भीर । पेठा नइ पेडा, गुंडवडे कीया निवेडा || मइगल ज्यु माल्हती, चिहुं दिसइ चालती। हंसगति हालती, मानीना गर्व गालती ।। स्यामा मृगमटधार, मुखपन टलाकार ॥ सकल सहेली परिवार, एह्वी चतुर नार || अगिताकार, पकवान परीसइ सुविचार ।। हिव माडा आणइ, भलइ टाणइ ॥ कवीसर वखाणइ, जेहवा एक जाण ॥
मांडा वर्णन खाड माडा, मोकला माडा, गुल माडा, गूड माडा, आसिया माडा, कपूरीया माडा ।।
पाणी वर्णन विचइ पावइ पाणी, झारी भरि २ प्राणी ॥ अाबिल वाणी, द्राख वाणी।