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( २८३) किवारइं हतिनह मा सामो जोवइ, किवारइ रूसणो माडिनई रोवई॥ किवारइ सूतो उठाणता बालस मोडइ, किवारइ रीसाणे उत्तेवड फोडें ॥(मो.) इत्यादि वालक्रीडा वर्णनम् ॥
८ विवाह समय
लग्न ऊपरि विहउ पखा हर मारि कटि साम हियह मूडसए आखे उडद केलवीयइ मूडसए गोहू केलवीयइ मूडसए चोखा केलवीयइ मूडसए मूग केलवीयह घड सइ घृत विसायिह कोडिया सह कापडा चोला भरा पान, झउला भरिया फोफल, गोरस तणा द्रह, वडा तणा उकरुड खाना तणा खला, गडि बहत्तरि वहिल चउरासी सुखासण, विंसुत्तरसर भडार गाडा सातसइ सेजवाली, चउदसई वाहण, पाचसह साढि, तेजी, वेसर, नीलडा, हरियडा, पायल लोक संख्या नहीं, सरसी कोठी । जगऊपणि माल्हणि सर्व गिलि प्रमुख अनेक सरसी कडाही वाहण तणी धोरणि- सेजवाली तणइ सेतु बधि सीकिरि तणइ अडमह बोबा तणइ थाटि, पायक तणइ पहट्टि, चक्रवर्ति जिंव चालियउ । नेउर तणइ ऊकारि, घाघर वालि तणइ घर्घरारवि पच-शब्द तणइ निर्घोषि, लोक तणइ हलबोलि कानि पडिय कोई न साभलियइ ।
(पु. अ.)
ह भोजन अनेक जाति तणी फलहलि । जिम मोटा छाजा, तिम खाजा । जिम महद्भुत गाडू, तिम लाडू । विविध वाणी तणउ पक्वान्न, वि आगुली कलम शालि । मुगनी दालि, परीसी सुवर्णमय स्थालि ।