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जमली चूर्ण रगावलि दीजई, सुवर्णमय इल मूसल अभवीजह । घट जूअल बाधीयइ, समग्र मार्ग सोधियई। रत्नमय प्रदीप बालियइ, गोतिह रातउ बदि तणा बृद टालियई। कर्पूर कुकुमि चदन रसि मार्ग सीचियइ, अर्थी लोक सर्वथापि न वंचियई । जिन भवनि पूजा प्रभावना करावियइ, नव नवा पुस्तक भरावियई । लोक अकर कीजइ, आखे भरिया स्थाल लीजई। लोक तणा वृंद मिलई।........... वाजित्र तणा सहस्त्र वाजइ, कलकलि करी आकाश मंडल गाजई ।।
६४ (नो.) ५ धात्री १ क्षीर धात्री, २ मजन धात्री, ३ मडन धात्री ४ क्रीडा धात्री, ५ उत्सग धात्री, पच धात्री||छ॥
१२८ जो.) ६ पुत्र पालन जिम हेडाऊ तुरगम संभालइ । जिम वणिक-पुत्र हथेली नउ फोडउ सु साला। जिम तबोली पान चालइ। जिम रथी रथ नह चालइ । जिम मुक्ताफल रहइ थालइ । जिम साधु प्राणी ने हालइ । जिम पखिया रहइ मालइ । तिम माता पुत्र नह पालइ ॥ (कु)
७ बालक्रीड़ा हिवइ ते रह्या (१) महादुख थया ॥ घर. विषै एहवा चयन करवा लागौ ॥ किवारइ पाणीना धडा ढोले, किवारें धइसे माने बोले ।। दहीनी गोलि घोले, किवारइ तरितो माखण छासि माहि बोले ।। माता साकडाने झालि पाणे, क्रिवारे स्त्रियोनो काचुयो ताणइं ॥ किवारइ जातो साप साहइ, किवारई आगीनई हाथि वाहैं । १. पालइ २ वणि ३ समालइ ४ समालइ (जै) , जै प्रति में प्रथम की तीन पंक्तियों के बाद की चार पॅक्तिया नहीं है।