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महिला कानि छूटी, ध्वज अतरालि तूटी । भाग्य हीन मुक्ति, क्षमा रहित मुक्ति । एतली वस्तु शोभा न पामई ॥६६॥ (मु.)
(११६) कौन शोभा नहीं पाते (३)
मद हनो हस्ती न शोभते, कुल स्त्री निर्लज्जा न शोभते । नीति विकलो राजा न शोभते, कृपण धनान्यो न शोभते । रूप रहितः स्त्रीजनो न शोभते, प्राकृति रहिता सरस्वती न शोभते। लवण रहिता रसवती न शोभते क्षमा रहितो मुनि न शोभते । शर्करा रहितो मोदको न शोभते, कण्ठ रहित गान न शोभते । छटो रहितो भट्टः न शोभते, विवेक रहित मन न शोभते । निर्वग्रं पुर न शोभते, निविद्या विप्रः न शोभते । निर्नायकं सैन्य न शोमते, निफलो वृक्षः न शोभते । निर्वृष्टिमेघः न शोभते, तपो रहितो मुनि. न शोभते । प्रेम रहितः सगमः न शोभते, निर्नाशिकं मुख न शोभते । निर्वस्त्र शृगार. न शोभते, निः स्वर्णोऽलंकार न शोभते । ताम्बूल रहितो भोग. न शोभते, रूप सिद्धिः प्रयोगः न शोभते । निःकंकणो बाहुदण्ड. न शोभते, प्रत्यचा रहितः कोटण्ड न शोभते ।
(११७) कौन शोभा नहीं पाते (४) मद रहित हाथी, चोख रहित साथी । लज्जा रहित कुलवधू, जल रहित सिधू ।। बुद्धि रहित नायक, चूकणउ पायक || खासणड चोर, कला रहित मोर ।। आलसूक मारड, पाणी रहित गारउ ।। खान (स्थान) भ्रष्ट गमार, तेज रहित टार || . आकृति रहित सरसती,, लवण रहित रसवती ।। रूप रहित छवि, छद रहित कवि ।। गंभीरता रहित धुनि, क्षमा रहित मुनि ||