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जिसं थवियइ, तिस खणियइ । जिसउ टोजइ, तिसु लाभइ जिस कमाईय, तिस अमाई || ( पु. अ.)
(१५) ये इनको जानते हैं (१) मनु नाणइ पाप, माता जाणइ बाप । गारुडी नाणई साप, वाणिउ जाणइ माप । प्रासद जाणई घोडा, कडीउ जाण्इ रोडा । सोनार जागइ सोना कडा, कंदोइ जाण्इ बडा । हस जाणइ क्षीर, मत्स्य जाणइ नीर । मुख नाणइ मीठा, दृष्टि जाणइ दीठा ।। २७ ।। जो+
(१६) इनको जानते हैं (२) मन जाणइ पाप, मा जाणइ बाप ।। हंस जाण इखीर, मच्छ जाणइ नीर ।। मुँह जाणइ मीठा, दृष्टि जाणइ टीठा ॥ पग जाणइ पागी, राग जाणइ रागी ।। दाव जाण्इ टासी, कायर नाणइ नासी ।। नारद नाणइ हासी, डोकरउ जाणइ खासी ।। गाडी नाण्इ मन, कापडी जाण जत्र ।। जाचक जाएइ लीयउ, दाता जाणे टीयउ ।। वडर जाणइ कीयउ, छोल नाणइ होयउ ।। चोर जाणे पात्र, अोझा जाणइ छात्र ।। जगम जाणे जात्र, पुण्यवत नाणे पात्र || क्रसण जाणइ जाट, सोनार जाण्इ घाट ॥ कवित्त जाणइ भाट, खराटी नाणइ खाट || तबोली जाणइ पाननी चोली, स्त्री जाणइ पोलो ।। कूड जाणे कोली, मथेण जाण्इ बोली ।। माया नाणे गोली, बाहर जाणे गेली ।। बाणिवर माणइ जोखी, दूपण जाणइ दोषो ।। मोची जाणे जूती, कपट जाणइ दूती ।। ( स्वार + पं जोणे उगु ।