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________________ में नहीं। साडेसरा जी का वह वर्णक समुच्चय ग्रंथ महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय, बड़ौदा से प्रकाशित हो चुका है। उनमें प्रमाणित समा. भृगार तो मुझे प्राप्त समाभंगार (नंबर १) ही है। अतः 'वर्णक ममुच्चय' के प्रथम भाग में मांडेसरा जी की प्राप्त प्रति में पत्राक २ न मिलने से पाठ त्रुटित रह गया था, उसको मैने उन्हें भेजकर वर्णक समुच्चय भाग २ प्रकाशित करवा दिया है। इस दूसरे भाग में प्रथम भाग के वर्षों का सास्कृतिक अध्ययन और शब्द सूचियाँ प्रकाशित की गई है जो बहुत महत्वपूर्ण हैं। अपूर्ण प्रतियाँ काफी खोज करने पर भी सभा कुतुहूल, पदेक विंशति, मुत्कलानुप्रयास की पूरी प्रतियाँ कहीं से भी पूती नहीं हो सकीं और न लक्ष्मीवल्लभो टीका में उल्लिखित 'वागविलास' अथ ही अभी तक प्राप्त हुा । इसलिये उसके अनुसंधान एवं प्रशाशन का कार्य श्रव भी वाजी रह जाता है। सभाश्रृंगार नामक संस्कृत ग्रंथ-सस्कृत में भी समागार नामक एक पबद्ध ग्रंथ प्राप्त हुवा है जो अंचलगच्छ के कल्याणसागरसूरि के शिष्य द्वारा रचित है । इमथ ही ३प्रतियाँ देखने को मिली हैं। जिनमें से नित्यमणि जीवन लायब्रेरी, कलकत्ता की प्रति की नकल परिशिष्ट में देने को भेज दी गई थी, पर जब तक वह अन्यत्र प्रकाशित हो गई । राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान जोधपुर ( पुरातवान्वेपण संदिर ) भार बढ़ौदे आदि के जैन भंडारो की प्रतियों का भी उपयोग नहीं किया जा सका । 'ममा तरंग' नामक एक संस्कृत पथबद्ध अथ की एक प्रति भामेर भडार से मंगवाई गई थी और भडारकर श्रोरियटल इन्टीट्यूट पूना में भी इसी नाम वाले ग्रंथ की २ प्रतियां हैं पर उनका उपयोग इल अध में करना आवश्यक नहीं प्रतीत हुया क्योंकि उनकी वर्णनशैली भित प्रकार की है। नेतर सस्कृत रचनाओं में गीर्वाण पद मंजरी और गीर्वाण वांगमजरी क्रमशः वरद भट्ट और दुढिराज के रचित , वर्णक पद्धति की रख्लेखनीय रचनाएँ हैं। इनमें से एक की प्रति हमारे संग्रह में भी है। ये दोनों रचनाएँ डा० उमाकांत साह द्वारा सशदित होकर जनंन ऑफ श्रोरियटल इस्टीट्यूट भाग ७ नंबर ४ ( जून १९५८ ) के अरु में प्रकाशित हो चुकी हैं। परिशिष्ट-परिशिष्ट नंबर १ और २ में दो और महत्वपूर्ण रचनाएँ दी गई हैं जिनमें से प्रथम रत्नकोप'नामक ग्रंथ तो बहुत ही प्रसिद्ध रहा है ।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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