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२०० ) काम कुम्भ, कामधेनु, कल्पद्रुम, चिंतामणी, चित्रावेल, मोहणवेलि, रुद्रुवती, तेनमत्रि, स्पीपल, सुवर्णफरसो, रत्न कंबल स्यालनंगी, व्रणसरोहिणी, पद्मिनी स्त्री, भद्र जातिनाइस्रो, ए योगवाई पुन्य विना न पामें । वि० .
(४५) बिना पुण्य नहीं मिले-(२)
सुठाम, सुगाम | सुटान, सुमान । सुनात, सुभ्रात । तुतात, तुमात, । तुकुल, सुबल । तुस्रो, सुपुत्र । सुपात्र, सुखेत्र । सुरुप, सुविद्या । सुदेव, मुधर्म, मुगुरु । सुदेश । सुवेश । ए योगवाई पुन्य विना न पामीइं ॥
(४६) अथ पाप फल ।। पाप लगइ मध्यम जाति, पाप लगे भमह दिन राति । पापथी पामियह प्रियवियोग, पापसी पामिये रोग ।। पापथी पामियइ सोग, पापथी पामिये कुनारि नउ सयोग । पापथी पामिये क्षय, पापयी पामिये भय ।। पापथी पामिरह परवस, पापयी पामियइ अनस || पापथी पामिये धनहाणि पापथी पामिये दुख खाणि ।। मुनि धीर मुखिनी वाणी, ए पापना फल जाणि
इति पापवर्णक ।। कु.
(४७) धर्म में प्रमाद जे कोई जिन धर्म तणे प्रमाद करें ते नाणे ठीकरी कारण अमृत कुम्म फोहे ॥ निष्कारण श्रानन्म तणो लेह वोडें । कामधेनु अलीढी मेल्हीइ चिंतामणी रत्न श्रावतो पाय फेडई ।। कल्पद्रुम आ णा घरथी उन्मूलं ।
"ईश्रा, आई, बहिन, माई भूषा, फूफा, फूफी, देवर, जेठ, स्त्री, पुत्र, नानो, मोटो, गरवो, बूढो, खावो, पिवो, पहन्बु, वश्त, जावु, आँवु ख्याल विनोद ए पुण्याइ पामका पाठ अधिक मिलता है।
ठीकरी कारणि कोई कानकुभ फोटा