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पुण्य लगे नवे निद्धि, पुण्य लगे घरि थिर रिद्धि 1 पुण्य लगे शरीर निरोग, पुण्य लगे अभंगुर भोग । पुण्य लगे नव नव' रंग, पुण्य लगे चढीयह? तुरंग । पुण्य लगे सुकलत्र संयोग, पुण्य लगे टलइ सहु सोग । पुण्य लगे सिगला थोक, पुण्य लगे वसि सहु लोक । पुण्य लगे घरि गज घटा, पुण्य लगे सउदा सटा । पुण्य लगे उलटा पटा, पुण्य लगे रहs विकटा | पुण्य लगे लहइ चउहटा, पुण्य लगे चदन छटा | पुण्य लगे सूर तुभटा, पुण्य लगे सेवक थटा । पुण्य लगे निरुपम रूप, पुण्य लगे मानइ भूप । पुण्य लगे अलख सरूप, पुण्य लगे पुत्र नृप । पुण्य लगे सुम आवास, पुण्य लगे पूजइ" ग्रास । पुण्य लगे रहइ उलास, पुण्य लगे तेन प्रकास | पुण्य लगे कशृंगार, पुण्य लगे मानइ कार । पुण्य लगे शुद्ध आहार, पुण्य लगे रहइ आचार । पुण्य लगे जस सोभाग, पुण्य लगे द्रव्य प्रभाग । पुण्य लगे बाधइ भीर, पुण्य लगे बाघव सीर । पुण्य लगे चतुर सुजाण, पुण्य लगे अविरल वाण । पुण्य लगे तान नइ मान, पुण्य लगे फोफल पान | पुण्य लगे मुंहडइ वान, पुण्य लगे अमृत पान । पुण्य लगे 'धीर" सुभ ध्यान, पुण्यह पामीयइ केवल ज्ञान ! इति पुण्य फल | ( कु० )
( ४१ ) पुण्य प्रभाव (२)
सर्वोपार्जित पुण्य प्रभावि, जे सौख्य- लहर ते सम्भावि । जिस्य निर्मल शंशाकु, तेहं पाहिईं कुल निक्लंकु । तिहा जन्म लहइ, नीरोग थ्य रहह ।
२ नवा २ पल्हाणीया ३. चालता दीनइ | ४ वसिवा प्रधान ५ पुण्यत्र पूज मन चीतवी । ६ अनेक ७. भला । ८ सर्वत्र वहुमान ।
+ दूसरी प्रति में पाठ बहुत कम है उसी का यह विस्तार किया गया है। निम्नो पाठ उसमें अधिक है ।
"पुण्यः श्रानददायिनी मूत्ति, पुण्यः अद्भुत स्फूति ।