SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 228
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१६७') भला वस्त्र पहिरें तो ईतर, सामान्य वस्त्र पहिरें तो दरिद्री ।। व्यापारी तो भडग, विषइ तो सर्वधनवाह्य ॥ विषयहीन तो नपुंसक ॥ (२६) दरिद्री, पुरुष लक्ष्मी रहितु, तिह हुई कुणहुं न चीतवइ हितु । बोलतउ हुइ मीठउ, तथापि न सुहादू कुणहई दीठउ । गुणे करी पूरउ, तोइ लोक देखइ अणूरउ । घणउ किसिउ झखीयइ, मेलावह न उलखीयइ । लक्ष्मी छाडियइ, सुकुणिइ माडियइ । सदैव उसी श्रालउ, सुखासणि बहसण हारउ। श्रागलि हीडइ, अण वाहणे अनइ पालउ । घरनी कलत्र, तेहइ मानइ भणी शत्रु । मोटावइ वंस नउ, पुणि रिणि राउलि निमइ, इसउ दरिद्रो ॥ २० ॥ जै० (३०) दरिद्रो वर्णन-(२) दरिद्री ना टापरा, जूनागढ ना छापरा ।। तिहा रहे माणस वापडा, ते महा लापरा । न जाणे श्रापरा ।। वाका वला, उपरि पडे सला। नीकन्ते कानसला। वासडा काला । घणा चडकलीना माला, विचमा साप ना चाला || कुणर दोसे ख्याला, गोरोली ना इडा ॥ मकोडा ने कोडा, धरती, माननी निरती, घडाधड करतो, जिणतिणसु लडतो, पागणे पडती ॥ घणा मेलना थोक, हीया यी न जाइ शाक, जे बोले ते फोक ॥ एह फुड, बोलें सदा कूड ॥ , घरमा दीसे धूड, धणीमा पिण चूड ।। परसाले चूई, अागणे सूइ, रीट रालो लुई ।। तितरें भिंतडा पडें, वइर बढें, वली वापडो उंचो चढे । १. खट।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy