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(२२) जे० वीर भाला झजकई, तेतलई कायर ना मन टलकई ० पच शनि पडई वाय, ते० कायर करईपाय । जे० घूसके बाजा नीताण, ते० कायर ना पडई प्राण । जे० टल आघां खिसइ , ते० कायर खूणे खिसई। जे. वेदल ही चडइ , ते० मतर तत्काल पडिन । जेन० विटल बाफलइ . ते० गतर मनि खलभलई। जेतलई सुभट झूझइ , तै० कातर लोक अमूझई।
० सुभट मेल्हइ प्रहार, तेतलई कायर जोअइ नासिवा वार | जे० वीर मन्तक पडइ , तेतलइ कायर पगि पीडी चडड्। हाथिउ हाथिह , घोडउ घोडइ । ग्य थिइ , पायक पायकिइ । भथाउत भयाउतिइ , खड्गायुद्ध खड्गायुटिइ। कुतायुव कुतायुधिड, गदायुध गदयुधइ । गर्जायुध गर्जायुवई। इलायुध० मूशलायुध शुल्लायुध०, त्रिशुलायुधः । . बेउ दल मिलइ , सर्वत्र धूलि पटल उच्छलइ ।। कुण हूँ अायण परायउ विभाग वूझाइ नहीं, पिता पुत्र सूझ नहीं। न० जाणियात्मटल, न जाणियइपर दल । न० भूतल, न० नभोमंडल । न० रात्रि, न० दिवस । न० पूर्व, न० पश्चिम। तह एकाकार हुइ, इसिइ समय समग्र दलि वर्तमानि । राजा सन्नद्ध वद्ध लोह चूर्ण हुई सुहडइ सगुड हाथीया लूडइ । रथावली ऊथलावई', मउडया माक्ड लिम खेलावइ । पारवरिया गट हराइ, महायोध सनुख मणइ । टलवइ भाजई, जल समुदाय गाजई । एतलइ तमह समकाल साहली बाजई, मदभभल गजेन्द्र गालइ । नीगडियानी श्रेणी कमममह, नीसाण तणा घाय बमवमइ । तुरग तणा देसारव, धवा तणा टंकारव । चीर रण भूमिभरी, आरेणि तगी सूत्रधरी । प्रलय धवल तूर्य वाजइ ||६७ (स १)