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सेनानी महमहइ । घड़ झूमर, इतर मूझइ । एकि खड्ग काढइ, एकि गन तणी वस्त्र वाढई। अनेकि शस्त्र झलहलइं, हाथियानी गुढि ढलइ। कायर खलभलई, घोड़े पाखर गणगई। . विहित सर्व जन डमरि, इसइ समरि ॥ ७१ ॥ (मु०)
१६ युद्ध-वर्णन बिहुँ पखा वृहत पुरुष साचरिया
क्षेत्र सूडावियउ बिहु पखा सन्नद्ध बद्ध नीपना सुभटे पाखर लीधी मयगल गुडा सुण्डि-दण्डि मुहवड़ घाता पंच वल्लहा किशोर पाखरा । जाति तुरग पलाणा। रथ पाखरा । वीर पुरुष महा सुभट प्रगुण नीपना ।
केई आगि लोहमय अागी करिड मस्तकि सिरि कुनिसि ओ हुआ संग्रामोद्यत ।
केइ परिकर सपूर्ण लौह चूर्ण हुया सोत्साह । केई आबद्ध तोणीर वीर हुया युद्ध प्रगुण । सेवागत राजान चक्र हुयउ सावष्टंभु चक्रव्यूह गरुड़ व्यूह तपी रचना नीपनी। श्रागवाणि सींगडीया तणी श्रेणी। पश्चात् मागि फारक मंडल तणी पद्धति । तदनंतर इस्ती घटासीत्कार करती। पाखरा तणी श्रेणी हेपारव मेल्दती।