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( ४६ ) ३ कोस समुद्र खाई, टस सिर, बीस भुज, ३० सहल वर्ष श्रायु, २१ धनुषउच्च, त्रैलोक्य कंटक, रावण राना जेहनइ-६६ कोटि राक्षस कुल, ६ कोड़ाकोडि, ६६ लक्ष, ६६ सहस्त्र, ६०६ राक्षस बल, कुभकरण विमीपण प्रमुख लक्षबाधव, मदोदरी प्रमुख सवालक्ष अंतेउर, इन्द्रजीत मेघनादादिक सवालक्ष वेटा, ७ लक्ष वेटी, श्रासाली सूर्पनखाटिक ०८ भगिनी, ३ कोडि चेटी, विहिनोदवा दलइ।
८८ सहल ऋषि पर्व पाणी भरइ, ३३ कोडि देव उलगइ आस्थानि इंद्रमाली।
ब्रह्मा पुरोहित पणउ करइ, भृगरी ति पाचमन दिइ । जीमूत ऋषि छोरु खेलावइ, कामदेव कटारउ बधावइ । वैश्वानर वस्त्र पखालइ, कार्तिकेय तलार करइ । चामुडा चाउरि संचारइ, विणायक गादह चारइ । अनइ सवा लाख पुत्र जेह तणइ । इसिउ त्रिभुवन सल्ल, महामल्ल, राणउ रावण । १-४ ( स० १)
२८ राम-वर्णन
यथा क्षीर माहि गोतीर, जल माहि गंगानीर । - पट्ट सूत्र माही हीर, वस्त्र माही चीर ।
अलंकार माहि चूडामणि, ज्योतिपी माहि निशामणि। अश्व मांहि पच वल्लभ किशोर, नृत्य कलावंत माहि मोर । गज माहि ऐरावण, दैत्य माहि रावण । वन माहि नंदन, काष्ठ माहि चंदन । तेजस्वी माहि आदित्य, साहसी माहि विक्रमादित्य । वाजिन माहि भमा, स्त्री माहि रभा । सुगंध माहि कस्तूरी, वस्तू माहि तेजमतूरी । पुण्य श्लोक माहि नल, पुष्य माहि सहल-दल-कमल । सत्यवादी मांहि धम्मपुत्र, ज्ञानी माहि ज्ञातपुत्र । वाण कला माहि अर्जुन, सूर माहि सहस्रार्जुन । उपगारी माहि जीमूतवाहन, देव माहि मेघवाहन । शीलक्त माहि नारट, रतावण माहि पारद । वृक्ष मोहि सहकार, भोगेश्वर माहि कृष्णावतार ।