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________________ 658 श्रमाणवचनम् पुटम् ..... 329 196 पुटम् | प्रमाणवचनम् उत्पन्नश्च स्थितो 100 उत्पन्ना जातु 370 340 उत्क्रन्तिगत्या उत्पद्य यो विन उत्पादध्रौव्य उदयानन्तर उपयन्नपयन् al इक्षुक्षार इति नित्यविकल्मो इति नैव प्रवृत्ति इति व्याप्तया इत्थमित्येव इत्येषा सह इदमित्थमिति इन्द्रियप्रतिघा 318 166 .... 386 20 08 " - इन्द्रियाणि तन्मा 293 | उभयथा खल्वथु 445 उभयव्यपदेशा - 446 456 ऊर्ध्वमुद्गच्छति 458 446 एकसंघात 446 | एकादशं मनश्चात्र 446 इन्द्रियाणां इन्द्रियाणामेकादश इन्द्रियाण्यु इन्द्रियैरुप इयमेवात्मसं 439 464 450 | एका कन्या दशे 327 एकानेक 327 329 .... 344 .... 459 CT co co 404 उक्तस्य वक्ष्यमा उच्यते प्रथमा उत्तरसंख्यानुरो उत्तरानुगुण उत्पत्तावपि उत्पत्तिविनाशादय उत्पत्तिस्थित्याम उत्पत्त्यनन्तरं .... 318 एकार्थक्रियया 344 | एकैकदहेष्वेक एकोपका एतत्सर्व एतद्विभावयेद्योगी एतस्माजायते 455 328 465 543 368 330 एतावन्तं स्थितः .... 380
SR No.010754
Book TitleTattvamukta Kalap and Sarvarthasiddhi with Ananddayini and Bhavapraksa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorD Srinivasachar, S Narsimhachar
PublisherD Srinivasachar, S Narsimhachar
Publication Year1933
Total Pages746
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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