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न्यायबिन्दुटीका-57, 323, 331. न्यायभाष्यम्-242, 277, 278, 279, 281, 512. न्यायवार्तिकम्-214, 216, 217, 221, 222, 225, 229, 230,
233, 242, 243, 244, 245, 277, 278. न्यायसिद्धाञ्जनम्-72, 150, 155, 201, 206, 326, 354, 472. पञ्चसिद्धान्तिका-589,590,591,592. परमतभङ्ग:-28, 152, 170, 179, 319, 421, पस्पशाभाष्यम्-537. पातञ्जलभाष्यम्--280. पातञ्जलसूत्रम्--282. पौलिशसिद्धान्तः-592. प्रमेयसंग्रहः---503,536, 537. प्रश्नोपनिषत्-113. बादरायणसूत्राणि-419. बुद्धितत्वमाला--40. बृहदारण्यकश्रुतिः-464. बृहत्संहिता-607. वोधिचर्यावतार:-329. बोधिचित्तविवरणम्--348. वौद्धविलासः-460. वौद्धाधिकारः-169. बाह्मसिद्धान्तः-606, 607. भट्ठदीपिका-587. भामती-446. भारतम्-93, 572, 510. मध्यमागमः---419. मरीचिसिद्धान्तः-602. पहासिद्धान्तः-600, 606. महोपनिषत्---93. माठरवृत्तिः --103, 112, 122, 131. माध्यमिकावृत्तिः -59, 84, 192, 328, 374, 423.