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धोरयाण
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पोह मेले परधान, काकसु दापै कतन । दो काढे बारै दलो, साहो जुध सांमांन ॥ ६ वीरमदे जिण वार, परधांनां हूंता पुणे । दू माथो नह दू दलों, साहौ जावो सार || सलषा तणो सवाल, कमंधां गुर वीरम कहै । जोड़े षग थारे जोडै, जुड़ी ज्यू जगमाल ॥ काको जैत सकाज, ते पागल सजियो तई । मालावत भूले मती, जिण भोले जगराज ॥ काकै तणो कंठीर, सबल भतीजेसू सुबद । हुवे मोहर हलकारिया, सक्कज भिड़े सधीर ॥ १० त्रहके तूरत्रमाट, गीधण जोगण गहगहे । काको भात्रीजो कलह, मिलिया लोह मुराट ॥ ११... .
छंद मोतीदाम.. मिले जुध बेहुंये लोह मुराठ, प्रथीपत बेहुंये अोपम पाठ । कमंधज बेहुय जोम कंठोर, वीरारस साललिया नर वीर ॥ जुड़े माय माहिय माह जोधार, अड़ीलय विहुये चित्त उदार । अड़ीलाय बेहुय लाग ध्रियाग, रुंड दल दोउव सींधव राग । बहु भड़ कंदल मांड दुगांम, मिटे सनमन्न सगप्पण माम । जरु अषत वैहु जगजीत, सिंधां हिंदवांण बेहुसुप्रवीत ।। षेड़े चोंयठात वैहु चित षोध, जुड़े रठ रांवरण बेहुय जोध । बेहु जरदैत बेहुं वीरदैत, बीठे धन वेध बहु बषलेत ।। घट रोवसैल बहु घर थंभ, खेड़ेचाए षार पंधा गज षभ । वहै वेयधार उराबांयवार, धजां सिर ग्रोध सरां धुवकार ॥
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