SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीरवाण सजै रुडमाल सिंभू सिरताज, विचैदल सूर होलोलैह बाज । तई झड़ झूल सत्रां तरवार, भड़ां घड़ डाडर घाव वंभार । लड़ रस लीधांय ग्रीध लंकाल, कमंधज काहलिया किरणाल. । बरघल घाव थड़ां गज बांह, छुटै गुण धानंष तीर छछांह ॥ करां षग पोगर धूण करुर, पटाझर आहड़िया मद पूर । हुवै जुध सूर भतीजोये हद्द, मुड़े नह काकोय हेक मरद्द ।। घड़ा मच धोम छके रिण धांम, जुझाउऐ वाज नंगारऐ जाम । तड़फ्फड़ हीजर साकुर तुंड, रड़व्वड़ कुंड गड़ा जिम रुंड ।। हड़बड़ जोगण घेतल होय, सड़व्वड़ कायर पंथ सजोय । तड़व्वड़ सायक पात्र सताड़, बल बल कालां जांयाव बंबाल.॥ चड़वड़ जोगणि रुद्र जोचोस, जुड़े भड़ धूहड़ बाधेस जोस । • भिड़े असताईऐ लोह भिड़ाल, गोल रस ग्रीधरण गुदगीडाल.॥ पाछा जगमाल धरै नह पाव, दीये नह वोरम हीणोय दाव । नरां भायत्रीज मुईं वायनेम, काको जुध भाजऐ दाषुय केम ॥ तड़ोबड़ तोल षत्री तप तेज, मिल सिरदार दोउं मुह मेज । इतै बिच वालाऐ सूर अपाल, मीणंधर प्रायोय रावल. माल ।। सपेरेय वातां वागाएसाय, जुदा दल बेहुंए कीधाय जाय । पुतारेय वालीए राड़ प्रवीत, जगानैय कुजर ज्यू जगजीत ॥ राठोड़ांऐ स्याम चड़े य कुरंग, उभा सलषावत माल अभंग । संपेषेय साव वले सिरदार, धरो जोवधार करो षग धार ।। १२ दुहा दाढे माल. दुमाल, राड़ वीरमनै राषी । उठी बात उबांबरे, मेटी नह जगमाल ॥ १३ । ते वाजे रिण ताल, धड़ पड़ ग्रीधणियाँ धपे । बहिंदुइ उबां हां - बरा, बाहड़िया बाहाल ॥ १४
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy