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________________ वीरवांण नीसांणी हैसु रोवण हक नही संज होय सधीरा। तुं जाया दल राजदा नाष चष नीरा ।। पमंग चढ़े पड़ाहीये पुगल जा वीरा । गोगा कुसल न जावसी धट ऊभा धीरा ॥ १६७ १६८ १७० कर पुररो लगाम दे, पिठ ज मंडे पलांण । पुगल जाइये पड़ाईया, एकण पोहर उडांण ॥ गोगै दलो मारीयो, जीतो मुरधर जाय । धाजे बाहर धीर दे, कीजै जेज न काय ।। राग मिटांणा रंगरली, सुणे अचीती ध्रांह । विध कह हैसुं वेढरी, दाणे धीर दुबाह । काहळीयो केहरकळी, कटकां उकट काट । धीर चढ़े अर धूंसबा, बीडे गांउ जड़ वाट । नीसांणी काह कटकां ध्राह सुण सजीयां भड़ सारा । धीर चढ़े अरि ●सबा लग गोगा लारा । उडे रज असमानमैं . इळ होय अंधारा । सेल चमके विच अणी निस काली तारा ।। बेढंगी षडीया बीडंग पंथ पार न पारा ॥ हेक मना हुय हालीया सज सेना सारी। असी कोस अफाळीया क्या लगै कारी ॥ वणीया दुलहा वाहरु बप वेर विचारी। एक मिले अण चिंतको रिण मांझ रेबारी ॥ ११६
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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