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________________ वीरवांण १०५ नीसांणी वर ले चूंडो माल से उगम संग आवै.। मिणधर सूताँ नींदमै चामंड फरमावै ।। वाड़ो करवट जेवड़ा घर घोड़ा आवै । उगमसी इंदोत. पोती परणावै । मंडोवरमैं दी कर महर माता फरमावै ॥ सूतां उठ चूंडेसधर वाड़ा छपवाया। उण दिन सगपण वासतै उगम फरमाया ।। चांमंडरै बरसुं करै अस अोझक आया । अस रंग बदल्यो ईसरी दूजा दरसाया । तद चूंडे चामंडका परचा सच पाया। चंडी वर हुय चुंडकुं सामांन सजाया । उगम घास मंगावणा मुगलां फरमाया। सज भड उगम पांचवें संग चुंडा लाया । छळ कींधा बळ दापीया धर कारण धाया। हर वळ इदा रांण हुय गाड़ा गरणाया ॥ . ऐम तळेठी आवीया चूंडे मन भाया ।। ऊमां सोवायत अटा निजरां गुजराया ॥ सो गाडा उगम सर वगड़ भितर लाया। चामंड चामंड मुप चवे जैकार जपाया । उसरा थांणा उथपे थिर थानक थाया। मुगला दोय हजारकुं घोर घलवाया । राज मंडोवर चूंडकु चामंड वगसाया ॥ १०६ दूहा प्रासुर काटे अंबका, कियो कम सिध काज । चांमंड दीधो चूंडन, रिघु मंडोवर राज ॥ १५३
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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