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________________ वीरवांण ५ ३ नीसांणी उगम चूंडे आगला रजवाट बणाई । मुरधर लीधी महैपती धर फेर दबाई ।। कीलमां थांणा काटीया पाछी धर पाई। राणे पोती रावनै पेषे परणाई ।। दीध मंडोवर दायजे मिल सारां भाई । हरषस मन राजी हुये ऊगम फरमाई ॥ दुगर चौरासी गांव दे थिर राजस थाई। राव कहै सुण रांणनै कर चित न काई ।। साषी सूरज चंद है आपां बिच आई। रांण न बदलै राठवड जुग च्यारां ताई ॥ १०७ १५४ १५६ इदांजी म करजो अवर, पाधर. मुगल पछाड़ । दीवी मंडोवर दायजे, चुंडो चंबरी चाड़ । सेत्रावैसुभ्रात सब, मिलण चढ़े माहाराज । मंडोवर आया मरद, जसो गोगदेव राज ॥ कायलाएँ राजस करै, धरै कनकी मन धीर । मंडोवररो भोमीयो, बल मांगै वरवीर ।। अगला भोम्या प्रांपणे, मांगै की माहाराज । वळ देवणनै वीरवर, सजीयो गोग सकाज || .. . नीसांणी रमै सिकारां गोगरज कायलांणे डूंगर । उठीयो दैतज कालीयो एही गल उचर ।। दुथणी जायो को नही मंसु जोड़े कर। . कर पकड़े पाड्यो कमद भेळो कीनो घर ।। १५७
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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