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वीरवारण
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पक्ति
दूहा १४८
" १४६
नीसाणी ८७
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वीरम सूजुध बाजना बक्कारै कुण वीरमो सिंह पटाझर सांप हो तेरू कुण सायर तिरै जम कू कुण मारे मदू तो चिन मारको मत धड़को दायै मदू कथ राषां लारै वाथ घलां असमांणसू सज दोऊ दल सांमटा विच घूमर वग्गी . असमाण सिलग्गी फिर पीछी दग्गी घूमावण लग्गी विच मूठा लग्गी पोड चहुँ जब कंपडा पग होय अपग्गी उतरिया वीरम कमंध भाई भाई भाषियो पैंसठ अस चढ़ पाडिया भल भलवाड भलकिया झड उर फूट अफारा पडिया असफड पापती दलिया विणजाग पालै पनरै पाडिया भिड़ पग झल्लै पाग मांगलिया श्रय सांपला बनित बगरा त्या जिम तारा मदपै अर मध्थै गामी मदु पै साजदी पग झाटक पथ्ये घण जाग घाथै
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