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वीरवाण
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जांण रमै रिणु गेरिया डंडे हड हथ्थै
निसाणी ६१ मदुपै वीरम माचिया हाथी जाणक हूँचकै साकल छूटा सपिरत हदपूरै हामा
.. . " कीदा हद कामां मोटा दुसमण मारिया वल मूछा वाली एकण घाव उतारिया
, " जेतल जसू मोठिया अणू भंग लूण उजालियो चाले वीरम अंग विहंडिया मूंछा बल घल्लै कर क्रोध अचल्लै भीलपनै भाखियो झट तरगस झल्लै कीधा चष लल्लै धानष सामा पाव दे सर दांतां झल्लै छूटा तीर अचिंतका
धड़ फूटा ढल्ले • चूका वैग पिलोणते
उलटा कर चल्लै : धनंष चढाया पनियै ढह पड़ियो देपालदे
धरलैणी चोटी . परगर कीधी :पनिये . वीरम मदुरै पोढीया . प्यार सहस पड़े सूरमा अंग वीरमरै अोपिया
दूहा१४६ जूदा सो वारे
निसाणी ६७ वीरमसू जुध बाजणे विड रहिया रिण घेत बिच .. .. दूहा १४७ जव कोटी रा नाथ . .. "
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