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वीरवाण
पंक्ति
२१
वीरम रै उणहिज व खत - पमंगा हुआ पलांण दहा १०० दलै साथ चढियो दुझल कुरुले खेमे काढिया . . , १०१ • जद विकियो जगमालदे .. , १०२ 'मन भार रमंते
नीसाणी २४ • जमराज विरंतै
जुड़िया जुध जंगा एकण जोइया वासते माल विछोड़े मांझियां जद धिकियो जगमाल परतख हेकण परदलो वीरम मालो बीछड़े . भड़ दोनू भाई बसियो वन माई नर चढियो पाटण नवी
" " मांगलियांणी तेड़
. दूहा १०३ जोया पोह चावै न दिन
, १०४ 'चढ़ धूर चलाया । नीसाणी २८ थलवट्टी या . रचि रोस चढ़ाया षडिया षेगां षेडुसू .भड़ पासायच भोमियां सज सूर सवाया सूरा कट पड़िया समर
कूट असाचय कढिया __ षग बाढ़ षिराया
कमंध बतीसू गांव से सेवै वीरम संघु बड़ ऊमंग मन आणी परणे भठियाणी नर गोगादे नेमियो रिणतूर रूड़ाया इम जोईयां घर आविया
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२३.
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