SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीरवाण नीसाणी २२ [६३ S8 अवखी विरियां माय मांगलियाणी महल री वीरम मानी बात जंगा मंझ भिड़िया जवन वीरमदे रे हुकम सू हालै दसू हजार सांपो दलो जोइयो विडंगा चढिया वीरवर मीर केई रिण मारिया वरस क किताइक बीतिया कियो ठाण अस कालमी मूडा पागल माल रै किणि यक कीधी प्राण मूंडा आगल माल रै कै पाबू रै कालमी कै सूरज रै सपतास उण तूं वधी आध दस हजार रिपिया देऊ मदु ऊरी दे मोल दले घणो ही दाखियो • राजवियां रा तोल कीधी किणि यक काम मारै लेसू माल साकुर पण लेसू सरब जद उण मालण जाणि यो पूगी दलै रै पास रूक झड़ी अध रात सुध ले साहिबाणा दलै खान सामाध सूता बंधव सात क जौसेल जगाया खेड़ मिलण ने प्रावियो उण सूबधी उपाध वीरम नै दीधी विडंग ६० . Wwww MEW U नीसाणी २३
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy