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________________ वीरवाण पृष्ठ २३ : पंक्ति .४ . . २४ . ... ...५ FK... WOMMG mFKw उरड़ मोतियां थालभर नीसाणी ३० वीरम कुरंगां वालवै जका षटक जगमाल रे आगमणी न श्रावै - " " दलै रीझ सामाद दी वीरम सू जुध बाज के दल बलसू जगमालदे " " डेरा समियांणे दिया मेल दिलीसू मेलियो .. . " , चेतवियोड़ों सिंह थल नगर धणी लिष नीत सू पढ़ पाषर पनि .. , ३२ माल कहै वै मारका जेथ करै जगमालदे . नीसाणी, • मेल दिली सू.मेलियो तेड़े तुरका ने. वीरम तो सूवाजसी जाय कबीला जागंल जांण सिचांणे झड़फिया...., 'लीधा असल फिर लाडणू . . . पीरम बीरथ्थे · सब मोयल सथ्थे वीरम कोडंड पकडियो 'भल तरगस मथ्थे असवार डलथ्थे क्या नीसाणी तीरदी मीरजादा कथ्थे जांण कबूतर छुट गया हुन लथो बथ्ये असरपियां पावै मिलिया वीरम मारगां तीन सहस चढ़िया तरां .. श्रसरपियां लीयां मोकल कल्ला भारमल MG :: . 0 0 20 < Kn<
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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