SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीरवाण दोउं वांम झकोयन पीठ दियै, झिलमां सिर वीजळ वाढ़ जड़े । घंण जांण कांसी ठठियार घड़, पड़ेय छक लोहाये सीस परे ।। थुड़बै विटीया रिणताळ . धकै, धारै सिर अंबर धुहड़ियू। अरियां सुए गोगोय आहड़ियू, रिण जंग तुरंग सुरंग रुळे ॥ पड़ कायर भंग विभंग पुळे, फुल डाडर चंग सुचंग षगां । . . उतवंग बरंग बरंग अंगां, धजरंग पतंग निढंग घड़ां ।। . भुज लाग उमंग निहंग भंडा, गुण बांण कबांग जुवांण ग्रहौ । . वप ढांण वेधारण संधांण वहै, अत सांण वाषांण आरांण अषै ।। पड़ सुर धधकैय सेस संङ्ग, धुब घांण मथांण मसांण धरा । गिर बांण विमाण षड़े गैहरा, किरबांण जिवांण केकाण कटै ॥ जमरांण गोगो अवसांग जुटै, असमांण सुआंण विमांग अड़े। ". जमरांण जुाण आरांग जुड़े, केयवांण वहै तनत्राण कटै ॥ . जमरांण दोहुँ अवसाण जुटै, धुषवेध दळां निय सांण धुबै । .: हिंदवारण अन तुरकारण हुबै, पैय जोगण सुरांय श्रोण पियै ।। : देय छिब लुहर रंभ दियै, विडतां सुत वीरम देव वकै । शत्रु कोय धको नह साज सक, भड़ धीर सधीरह ब्रद भळे ॥ मुह मेज कसंधज हूँत मिळे, गज ढल्ल अचल्ल हमल्ल ग्रहां । बहबल्ल सिंधू बबरै मल त्रहां, बरघल्ल कगल्ल कड़ी बड़. ॥
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy