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वीरवाण विकराळ वंबाळ माळ बजे, दुवठाळ षड़े धमचाळ दलै । मुजवां सिर घोर अंधार मिल, ओपेय असवार तोषार इसा ।। जुग जेठिय वुड य पाल जिसा, कळ चाळ षळां सिर चूक कीयो। उरसां हुँत जांगक उतरियो, घण ध्राह दिरावण सत्रु घरे ॥ कमधज्ज षड़े अस वैग करे, मांझिय दळ दोउ कटे मरसी । हद आज चकाबोय राड़ हुसी, धुप ऊढ धरस तुरा धमसां ।। दुषताय दहलांय देश दसां, मिल सालळ गोगोय सूध मुगां । तेय काढण प्रांटोय बाप तणां, धजराज नगां धरती धममै ॥ भालाय सिर ग्रीधण झूळ भमै, सकवै रपु ग्राहण सालळियो। अंध घोर षेह रिव अंबरियो, डहके पंथवा सिर डंबरियू॥ कर कोड वैताळ कह क्रहिया, रुद्र जोगण भूत छके रहियां । केइ षेचर भूचर संग किय , दोलिय फिर साद चुडेल दियै ।। पटेय गोर भार अठार पड़े पुसियाल हुई रथ रंभ षड़े। डाकियं भड़ धूहड़ बोम डहै, बैडाय अस उजड़ वाढ वहै । रिव धूधळ मंडळ पूर रजी, वंसरी जिम नास ब्रहास वजी । पंथ सालळ जुथ दलां फबळ , मिट तेज भासंकर घोर मिळे ।। जड़ आवध जोस मै पाथ जिसा, दळ पेड़ षत्री उतराद दिसा। . ग्रह पुर त्रमाळ सिंधु गड., पड़ ताळ तुरै अह भार पड़ ॥ : डमरु घण डाकरण डाक डहै, तेतालिय ताळिय वैताळ है ।
लागोय सिर अंबर रीस बधै, षड़िया अस गोगेय षार षधे ।। इम साथ सबै भड़ ओपवियो, देङ्गय छिव ठाळोय काळ दियै । हद सुर मांझी सलखैस हरो, आयोय अस पेड़ य उबंबरो॥
समणी तद सालऐ सीव विया, करहा भर नीर अग्रय किया । .. कमधज षड़े अलंगार कियां, लषवेरे रो साह बमिद लियां ।