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वीरवाण इसा थेय खून कियाय अनेक, आवे जद पूंन कियो इण एक । मैकुबिय आज करो महाराज, सवारैय यलीजोय वैर सकाज ॥ तवैगल रांणिल पहूंताय तांम, दलां थंभ वीरम कोप दुगांम । जावै वित उभांय मूझ जरूर, सनसेय सेस न उगैय सूर ॥ गजां पल आज नद्पल ग्रास, दषै मुष हूँत अला दरवास । प्रोजो हुँय आज चुकू अवसांण, वकै नह वेद मुषां ब्रहमाण ॥ जावै वित मूझ उभां जैय वार, धरा नह छोल दियै इदूधार । खला सिर आज न वाउय षाग, जलो जल सायर लाग जलाग॥ तइ हवता कुये अोलोयतन्न, करै दत देवण उत्तर क्रन । तोड़ नह सिंग सत्रां तरवार, सूरां कुण साष भरै संनसार ॥ आणू तिल मातर जीव अदेस, सनसय मूझ पिता सल षेस । आउनह आज नवनांय ईस, दिवाकर उगैय पिछम दिस ॥ ढहूँ नह आज गयंदाय ढाल, महेवैय लाजैय बंदव माल । राषु नह आज षत्री ध्रम रीत, सतो सत छोडेये कुताय सीत ।। वदोवद धूहड़ दाष वचन्न, मेले नह चाल राणी वड़ मन्न । दायु तद वीरम कोप दपट, हमै सुरण राणिय छोडोय हट । उछटैय चाल छत्री उजवाल , चवै गल पंडव सूकल चाल । योपै तन साज झलाहल आब, सजो तंम आंण समाध सताव ॥ अलोवल लेतिय झंफ अडोल, मुणै चितरांम समढ अमोल । रकेवांये पाव दिया रढ रांग, हुवो असवार सिधा हिंदवाण ॥ ताली मिल षेचर भूचर तांम, अपच्छर हूर धरै आयराम । कहकेय वीर वैताल करूर, बहकेय राग सिंधू रिणतूर ॥ बभकैय सार धधकेय वाय, गैहकेय ग्रीध चहकैय माय । व्हकेय श्रीह त्रमागल. ठोर, अपच्छर रथ्य हकै चहूं ओर ।।