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________________ परमात्मा की सेवा ७१ मे परिणत होती है , किन्तु घडे के बनने मे कुम्हार, डडा, चाक और डोरी वगैरह निमित्त कारण हैं। निमित्त तीन प्रकार का होता है-सहकारीनिमित्त प्रेरकनिमित्त । और तटस्थ निमित्त । घडे के बनने मे घडा बनाने वाला कुम्हार प्रेरकनिमित्त है । और चाक, डडा, डोरी आदि जो अन्य माधन हैं, वे सहकारीनिमित्त हैं। तथा काल, स्वभाव, नियति (भवितव्यता), कर्म और पुरुषार्थ, तथा आकाश आदि सब तटस्थनिमित्त हैं । जैनदर्शन मे विहित काल, स्वभाव आदि पच-कारणसमवाय भी प्रत्येक कार्य के होने मे अनिवार्य बताये हैं । कोई व्यक्ति उपर्युक्त पच-कारण-समवाय में से पांचो को कारण न मान कर एकान्तरूप से किसी एक या अनेक को कारण माने तो वह यथार्थ नही है। . कारण का लक्षण भी न्यायशास्त्रियो ने यही किया है कि जो कार्य होने के अव्यवहित पूर्वक्षण मे अवश्य हाजर हो । जो कार्य मे साधक हो, जिसके न होने पर कार्य हो ही न सके , उसे कारण कहते हैं ।' . कारण के इस लक्षण की दृष्टि से कार्य की सम्पन्नता के लिए दोनो ही कारण आवश्यक हैं, परन्तु मुख्यता उपादान की है। उपादान के होने पर निमित्त तो कोई न कोई अवश्य रहेगा ही। हां, निमित्तकारण एक के बदले दूसरा हो सकता है, परन्तु तद्रूप उपादान का होना तो अनिवार्य है । इसीलिए अध्यात्मशास्त्र में उपादान की मुख्यता मानी गई है। __जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म आदि ६ द्रव्यो मे से जीव और पुद्गल गतिमान और क्रियावान द्रव्य हैं । प्रत्येक द्रव्य अपनी क्रिया में उपादानकारण स्वय होता है । जीव और पुद्गल मे जो क्रिया और गति होती है, उसका उपादान वह स्वय ही है। उपादान तो एक ही होता है, जब कि निमित्त अनेक हो सकते हैं, उनके सम्बन्ध मे निश्चितरूप से कुछ नहीं जा सकता। यदि उपादान का कार्यरूप में परिणत होने का निश्चित कालक्षण आ चुका है, तो निमित्त भी उसी क्षण आ मिलेंगे। किन्तु यदि उपादान ही शुद्ध नहीं है, तो निमित्त कितना ही शुद्ध क्यो न रहे, उससे किसी प्रकार का परिवर्तन नही होगा । परिवर्तन निमित्त मे नही, उपादान में होना चाहिए । निमित्त बलवान नही, बलवान , तो उपादान है। आकाश में जब सूर्य उदित होता है तो उसका, प्रकाश धीरे-धीरे फैलना
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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