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________________ परमात्मा से पूर्णवीरता की प्रार्थना ५४३ जाता है, इस पर मे शका हुई कि वह 'वीरता' है कहाँ ? क्या वह किमी दूसरे के पाम है ? अथवा वह इन वाह्य भौतिक पदार्थों मे है ? इसी के समाधानार्थ यह गाथा प्रस्तुत की गई है-'वीरपणु ते आतम-ठाणे' अर्थात् वह वीरता, जिसकी याचना मैं वीरप्रभु से कर रहा था, वह मेरी आत्मा मे ही है । वीरत्व के प्रेरक (प्रयोजक) वीर्य का यथार्थ मूल स्थान, मूलभूत अधिष्ठान या आधार (Power house) तो बात्मा ही है। प्रश्न होता है कि यह बात कैसे और किससे जानी कि आत्मा ही वीरता का उद्गमस्थान है, मूलस्रोत है या अधिष्ठान है ? इसके उत्तर मे वे कहते है-'जाण्यु तुमची वाण रे।' यह बात मैंने आप (वीतराग परमात्मा) के सिवाय अन्य किसी से नही जानी। आपकी रागद्वेषरहित नि स्वार्थ, निष्पक्ष वाणी (आगमोक्त वचनो तथा गुरु-उपदेश) से जानी है। भावार्थ यह है कि दुमरे दर्शन या घम सम्प्रदाय के प्रवर्तको मे से किमी ने कहा- "वीरता की प्राप्ति मेरे देने से ही हो सकती है या ईश्वर की कृपा होगी, तभी वह देगा।' परन्तु आपकी वाणी से यह बात स्पष्ट हो गई कि वीरत्व कोई मागने की या किमी को देने-लेने की चीज नही है, वह तो अपने ही अन्दर है, उसका अधिष्ठान तो आत्मा ही है। इस पर से मुझे यह भी निश्चित हो गया कि वीर्य शरीर की नही, आत्मा को वस्तु है । और आत्मा मे वीर्य की स्थिरता भी आप ही ने जगत् को नवीन ढग से समझाई है। वीरत्व की स्थिरता की पहिचान इमी सन्दर्भ मे एक और प्रश्न उठता है कि वीरत्व की स्थिरता की पहिचान क्या है, किसी आत्मा मे वीरत्व कसे स्थिर हो सकता है ? यह भी कैसे जाना जा सकता है कि किस आत्मा मे कितना वीर्य स्थिर हआ है ? इसी के उत्तर में इस गाथा का उत्तगद्ध है- "ध्यान-विन्नाणं, शक्ति-प्रमाणे, निजध्रुवपद पहिचाणे रे ।' अर्थात् शास्त्रीय धर्म-शुक्लध्यान के विज्ञान का आधार ले कर अपनी शक्ति के अनुसार आत्मा ज्यो-ज्यो ध्यान मे आगे बढ़ता है. त्यो-यो अपनी आत्मा मे वीर्य की कितनी स्थिरता, कितना सामर्थ्य, कितनी ध्र वता प्राप्त हुई है, यह अपने ध्यान के ज्ञान से जीव पहिचान सकता है, क्योकि वीर्य की स्थिरता और ध्यान ये दोनो लगभग एकार्थक -
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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