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________________ ५२० अध्यात्म-दर्शन निर्मलता का अभिमान यानी शुद्धस्वस्वरूप की स्वतंत्रता या स्वस्वरूप की पूर्णता का अभिमान स्वक्षेत्र में ही हो सकता है । भाष्य क्षेत्र से ज्ञानगुण एव ज्ञेय पर विचार इस गाथा मे ज्ञान के दो प्रकार किये गए है-स्वक्षेत्रीय और परक्षेत्रीय । अपनी (ज्ञान की) अवगाहना से अन्य क्षेत्र मे रहे हुए जीव या अजीव द्रव्य का ज्ञान हो, उसे परक्षेत्रीय ज्ञान कहा जाता है। शं यपदार्थ अपनी अवगाहना मे न हो तो उसे परक्षेत्रीय ज्ञान कहते हैं। परन्तु गुण और गुणी का अभेद है, इस कारण ज्ञान तो अपने अनन्त आत्मप्रदेश मे रहा हुआ है। यहां शका उठाई गई है कि दूसरे क्षेत्र में रहे हुए शेयो को ( यरूप परक्षेत्र को) जानने से ज्ञान भी परक्षेत्र मे हुआ कहना चाहिए। ज्ञान दूसरे के क्षेत्र मे हो उसके लिए आपने कहा था-~-अपने क्षेत्र मे ही अस्तित्त्व है। परक्षेत्र मे स्वत्व नहीं है, अपितु परत्व है। क्योकि अनन्त परक्ष प्रगत जय रूपज्ञान, अनन्त हो जाने से एक आत्मा भी अनन्त ज्ञानरूप होने से आत्मा स्वय अनन्तरूप बन जाती है। ऐसी हालत में आत्मा अपना एकक्षेत्ररूप एकत्व कैसे रख सकती है २ इमके उत्तर मे श्रीआनन्दघनजी कहते है- 'निर्मलता अभिमान' गुण और गुणी के अभेद के कारण आत्मा का निर्मल ज्ञानगुण अपने अनन्त आत्मप्रदेश मे रहा हुआ है। अपने क्षेत्र मे ही ज्ञान का अस्तित्व बताया गया है। ज्ञान का स्वभाव निर्मलता है, इस कारण शीशे के समान निर्मल ज्ञानदर्पण मे शेयपदार्थ दिखाई देता है, पर उममेज्ञान के क्षेत्र मे, ज्ञेय जाता नही और न ज्ञान ज्ञेय मे आता है। इसमे गुण-गुणी मे अभेद होने से सहभावी ज्ञायकधर्म एक ही और साथ रहता है, वह ध्र व है, निर्मल है। ज्ञान की निर्मलता के कारण शंयपदार्थ ज्ञान के पास माता नही, तथापि वह परस्त्रीय ज्ञान भी निजक्षेत्रीय-सा स्पष्ट हो जाता है। जय विनाशे हो, ज्ञान विनश्वरू, कालप्रमाणे थाय ।सु०॥ स्वकाले करी स्वसत्ता सदा, ते पररीते न जाय, सुज्ञानी ॥५॥ अर्थ ज्ञेय पदार्थ नष्ट होने से ज्ञान भी नष्ट हो जाता है , क्योकि काल के अनुसार ऐसा (किसी न किसी समय नाश) होता हीहै । स्वकाल (अपने आत्मा
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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