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________________ ( 5 ) कार्य मे आपको आनन्द भी आता है। वर्तमान आचार्यप्रवर श्रीआनन्दऋषिजी महाराज की सेवा का भी आपको लाभ मिला है। आप दीर्घ-तपस्वी भी हैं। आपने अब तक ५१ और ४१ दिन के उपवास किए हैं। ३३ और ३१ दिन की तपः-साधना दो बार की है, १५, ११, ६, १०, ६ एक-एक बार और अट्ठाई, सात, छह, पांच, तैले एव बेले तो अनेक बार किए हैं। आप तप साधना मे केवल गर्मी पानी लेते हैं। तप और त्याग से तपा हुआ आपका सयम-निष्ठ जीवन प्रत्येक साधु के लिए प्रेरणादायक है। आपका विहार (पैदल भ्रमण) क्षेत्र मेवाड, मारवाड, बीकानेर, मालवा गुजरात, महाराष्ट्र, बम्बई एव आन्ध्र-प्रदेश रहा है। कई वर्षों से आप आचार्य सम्राट श्रीमानन्द ऋषिजी महाराज की सेवा मे हैं और आचार्यश्री आपकी सेवा से सन्तुष्ट हैं। मैंने यह अनुभव किया है, कि आप सन्तो की धायमाता के समान हैं। ___ आध्यात्मिक साहित्य के प्रति आपको विशेष अभिरुचि है। आपके हृदय मे आनन्दघन चौबीसी पर राष्ट्रभाषा हिन्दी मे विस्तृत एव सुन्दर भाष्य लिखा कर समाज मे आध्यात्मिक विचारो का प्रचार करने की भावना जागृत हुई। आपने अपने गुरुभ्राता सिद्धहस्तलेखक पण्डितप्रवर मुनि श्रीनेमिचन्द्रजी महाराज को इस ग्रन्थ पर भाष्य लिखने का अनुरोध किया, जिसका फल पाठको के समक्ष है। तपस्वीरत्नश्री के ही प्रबल पुरुषार्थ की देन है, कि 'अध्यात्म-दर्शन' के रूप मे यह 'पदमग्न-भाष्य' उपलब्ध हो सका है।
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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