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तपस्वी श्रीमनम्ननिजी
एक परिचय
-मुनि हस्तीमल, मेवाडी तपस्वीरत्न मुनि श्रीमगनलालजी महाराज का वीरभूमि राजस्थान के निम्बाहडा के निकट 'राणीखेडा' गाँव मे वि० स० १९६३ फाल्गुन कृष्णा २ गुरुवार को जन्म हुआ। आप ओसवालकुल के अन्तर्गत चौपडागोत्रीय श्रीनथमलजी एव मातुश्री हगामबाई के आत्मज हैं। आपके ज्येष्ठ भ्राता का
नाम श्रीरतनलालजी चौपडा है। पिता का
लाडला एव माता की आँखो का तारा, जन
2. मन का दुलारा बालक 'मगन' माता की EFITNER
. ममतालु गोद मे खेलता-कूदता बढता रहा। दो 12
वर्ष की उम्र मे ही आपके पिताश्री का स्वर्ग१. वास हो गया। दोनो भाईयो के जीवन विकास । . का पूरा दायित्व माता पर आ गया। मां ने
साहस के साथ अपने दायित्व को निभाया ।
दोनो पुत्रो को पढा-लिखा कर योग्य बना दिया और बड होने पर दोनो को व्यवसाय में लगा दिया। समय पर अपने ज्येष्ठ पुत्र रतनलाल की योग्य , कन्या के साथ शादी कर दी। आपको भी विवाह के बन्धन मे आवद्ध करने का प्रयत्न किया, परन्तु आपने विवाह करने से ही स्पष्ट इन्कार कर दिया।
माता-पिता के धार्मिक सस्कारो से आपका जीवन सस्कारित था। बचपन जे ही आप मे अद्भुन साहम, निर्भयता, सेवा, कष्टसहिष्णुता और साधु-साध्वियो के प्रति श्रद्धा-भक्ति' थी। साधु-साध्वियों की सेवा मे रहने के कारण मापको शास्त्र-श्रवण, धर्म के स्वरूप तथा जीवन के स्वरूप को समझने का सहज ही अवसर मिल जाता था। आप सन्तो के मुख से वीतरागवाणी मात्र सुन कर .
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