________________
समराइचकहा।
[संक्षेपे ४६५
रणवररवायलणदूरद्धयघोलिरग्गधोरकरा । मेह व राजुरालिन्ता रसिंस वरमत्तमायणा ॥ निकरुष्णुकुडिया रहाण धुव्वन्नया चिरं मट्ठा । सरपणजालन्तरिया धवलधया रायइंस व्व ॥ महामिवियडदारियकुम्भया गरुयजनयनिवह व्व। । वरिसिस वरगइन्दा जलं व मुत्ताफलुग्यायं ॥ निहायात्यिपारकचकवणविवरनिभरपलोडा । वरभउमौसकत्तियमिरयममुखमियसेवाला ॥ मायाकरफायणविसमसमुत्यलाइलिरतरङ्गा । गय दन्नावरवडिया लोसन्तुत्थलियडिण्डौरा ॥ कुचरवरवियज्यडा विउडियभड विडवपायडियकूला। करिमयपरकरा रहिरवसावारिणौ बूढा ॥ दय भौमणसंगामे जलहरसमए व निहयनियसेने । गाढं मुत्तावौढो मेणकुमारेण परिषद्धो ॥ पायारेजण दढं काउं सरमिहबहुमयं जुल्छ । परिपारं पारन्नो पहो तिखण खग्गेण ॥ ततो व विसमदिवोद्दभिउडिरतन्तनेत्तदप्पेको । चायन्तो परित्रो मुच्छाविहलो महोवढे ॥
------- ---...-... -- -- ------- . १॥ पोहा
पनिषा. CE परिया, ॥ परिसिया। .CE विपि, पिया।
निवर। . (CE : Dr. m.. B दोड़ि। .A मुभावोगे।