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________________ भूमिया। जा उण कामोवायाणविषया वित्तबहुवयकलादक्षिपरिगया अणुरायपुलयपवित्तिजोयमारा दूईवावार रमियभावाणवतणापयत्यमंगया, मा कामकह ति भला। जा उण धम्मोवायाणगोयरा खमामहवज्जवमुत्तितवमंजममञ्चमोया. किंचवर्षभरपहाणा अणुब्बयदिमिदेमाणत्यदण्डविरमामादयपोसहोववासोवभोगपरिभोगातिहिमविभागकलिया अणुकम्पाकामनिजराइपयत्थसंपउत्ता, मा धम्मकह ति। जा उण तिवग्गोवायाणमंबद्धा कव्वकहागन्यथवित्थर विरहया लोरयवेयममयपमिद्धा "उदाहरणहेउकारणोववेया, मा मंकिलकह • ति बुचर ॥ एयाणं च कहाणं तिविहा मोयारो हवन्ति । त. जहा। प्रहमा मञ्जिमा उत्तम ति। तत्थ जे कोहमाणमायालोहममुच्छाइयमई परलोयदंमणपरंमुहा इहलोगपरमत्यदंमिणो. निरणकम्पा 'जोवेस, ते नहाविक्षा ताममा अहमपुरिमा दुग्गागमणकन्दुजया सगदपडिवक्रयाए । परमत्थश्रो अणत्यबहुलाए अत्यकहाए ऋण मन्जन्ति । जे 'उण महारविमयविममोहियमणा भावरिउन्दियाणकूलवत्तिणो प्रभावियपरमत्थमग्गा 'इमं सन्दरं, इमं सुन्दरयरं' नि सन्दरासुन्दरेस प्रविणिफियमई, ते रायमा मजिामपुरिमा बुरजणोवामणिनाए विडम्बणमेसपडिबहाए | परभवे य | AC nिe, B विजयपुषय, D चिलमारयः। गिय । PACD सम., om. विवर। . होय। Dभार। .CD धमाचारय। FDaरिसामणिमा
SR No.010741
Book TitleSamraicca Kaha Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi
PublisherAsiatic Society
Publication Year1926
Total Pages938
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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