________________
८४ स्मरण कला
तुम्हारे सिवाय कोई भी ठीक-ठीक नही देख सकेगा और तुम्हारे सिवाय कोई भी निकाल नही सकेगा।
__ इस वाक्य मे पहले एक रेखा वाले शब्दो पर ध्यान दो, जैसे कि-ब्रह्मसूत्र, पंचदशी, गीता, सन्त की सेवा, मन का कचरा, देख नही सकेगा। निकाल नही सकेगा। इन्हें दो तीन बार शान्ति से पढ़ लो, फिर दो रेखा वाले शब्दों पर ध्यान दो, जैसे कि-सुनो, पारायण करो, कण्ठस्थ करो, उन्हे भी दो तीन बार एकाग्रता-पूर्वक पढ लो।
___ अब उस पूरे वाक्य को निम्नोक्त प्रकार से ध्यान पूर्वक बांचो और हरेक भाग को मन में तीन बार बोलो। ब्रह्मसूत्र-पच्चीस बार बांचो अथवा सुनो, पंचदशी-का पचास बार परायण करो, . गीता को रह-रह कर कंठस्थ करो। । । महान सन्त की सेवा मे रात दिन उठ बैठ करो। . . . पर तुम्हारे मन का कचरा तुम्हारे सिवा कोई भी ठीक-ठीक नहीं देख सकेगा।
और तुम्हारे सिवाय कोई भी इसे निकाल नही सकेगा।
इस प्रकार से पढाये गये वाक्य का अर्थ पूरा समझ में आ जाता है, इस तरह उसकी भाव-स कलना हो जाती है। इसलिए वाक्य को याद करने की इच्छा करते ही वह वाक्य क्रमशः स्मृति पटल पर उतर आता है, प्रयोग करके देखो। ' .
दूसरे एक वाक्य के द्वारा इस रेखा पद्धति की उपयोगिता पर विचार करो।
"सिन्ध प्रान्त के लारकांना जिले मे 'आज' से पाँच हजार वर्ष पूर्व मोहनजोदडो नाम की भव्य और समृद्ध नगरी , सिन्धु के तट पर थी. जिसके मकाने ईट के थे और राजमार्ग चौडे वैसे ही पद्धतिबद्ध थे। - - - - - :