________________
स्मरण कला १ २३
(१) वर्ग (२).अवयव (३) गुण. और--(४) स्वानुभव इस क्रम से करना चाहिये। उदाहरण के तौर पर तुम्हे गाय पर मन को एकाग्र करना हो तो सर्वप्रथम गाय का चित्र मन में खड़ा करना चाहिए। फिर उसके वर्ग के सम्बन्ध मे विचार करना चाहिये वह इस प्रकार 'कि ; गाय एक पशु है, वह एके चतुष्पद प्राणी है। भैस; बकरी, अश्व, ऊँट, हाथी आदि भी चतुष्पद प्राणी है। वह एक दुवांरू जानवर है। जैसे भैस दूध देती है, बकरी दूध देती है, वैसे ही यह भी दूध देती है, आदि-आदि । जब इस रीति से वर्ग सबधी, विचारणा पूरी हो जाए, तब उसके अवयव संबधी चिन्तन करना चाहिए, जैसे कि गाय के चार पैर है। सिर पर दो सीग हैं। गले मे गल-कम्बल हैं,। - पोछे लम्बा पूछ है, वगैरह-वगैरह । उसके बाद उसके गुणो के सबध मे विचार करना चाहिये । जैसे कि गाय बहुत ममतामयी, होती है। उसे अपने मालिक के प्रति बहुते ही ममता भाव होता है, उसको जहाँ बाधा जाता है बन्ध जाती. है । इसलिए कहावत है कि गाय, और लड़की को जहा भेजो चली जाती है।'
... गाय को बहुत से लोग खूब पवित्र मानते है। उसके दूसरे कारण तो चाहे जो हों, पर उसका दूध, दही, घी, गोबर और मूत्र ये पाँच वस्तुएं तो बहुत ही उपयोगी है एवं बैलो को पूर्ति भी यही करती है आदि आदि । उसके बाद स्वानुभव से विचार करना । मैंने अमुक मित्र के यहाँ एक गाय 'देखी थी। वह रूप रग मे ऐसी थी । उस प्रसंग मे उसने अमुक प्रकार का दृश्य खडा किया था, आदि आदि अथवा गाय के विषय मे जो कोई अनुभवो का संग्रह हुआ हो तो उन्हे एक के बाद एक स्मृति-पटल पर उतारना । इस प्रकार विचार करने से मन गाय के विचारो मे ही खो जाएगा, एकाग्र बन जाएगा। इस सारी प्रक्रिया के बदले मात्र जो गाय, गाय, गोय की रटन लगायेगा तो संभव है कि थोडे ही पलो मे भैस, बकरी, अश्व आदि शब्द उसका स्थान ले लेगे और गाय पर कोई एकाग्रता नही हो पायेगी।
' दुसरें मे इस प्रणाली से विचार करने की आदत डालने से मन बहुत व्यवस्थित बन जायेगा। जिससे वह हरेक वस्तु का विचार पद्धति से हो करने लगेगा ।
। ।