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________________ स्मरण कला ९५. ६ दो सौ छप्पन, चौसठ, सोलह, चार, एक । ७ लाख, दस हजार, सो, दस, एक । । ८. विश्व, देश, समाज, ज्ञाति, कुटुम्ब, व्यक्ति । ९. राजा, प्रान्ताधिकारी, जिलाधीश, मामलतदार, पटवारी, कोटवाल, मुखिया, हवालदार । १०. दुनिया, खण्ड, देश, प्रान्त, जिला, इलाका, ग्राम, मोहल्ला, सकडी गली, मकान को मञ्जिल, मञ्जिल, कोठरी। __संख्या मे विभक्त की हई सख्या भी उतरते क्रम मे ही पाए । जैसे कि११. दुगुना, पूर्ण, प्राधा, चतुर्थ भाग, दो आना, एक आना। १२. ३, ४, ५, ६ आदि १० १० १० १०... आदि अब इस वर्गीकरण से याद करना कितना सरल हो जाता है, उसे देखो। बम्बई शहर मे ६५ लाख मनुष्यो की बस्ती है। इनमे यदि हरेक व्यक्ति को मात्र क्रमाक ही दिया जाए तो वह सख्या एक से लेकर ६५ लाख तक पहुंच जायेगी। इसलिए किसी व्यक्ति का क्रम पाँच आये तो कोई का २५ आये, किसी का २५६ आये तो किसी का २०९२ आये, किसी का ३२१८७ आये तो किसी का ७९५३६२ पाये और किसी का १६५८४६२ आए । अब यदि हमारे पास इस प्रकार की ही व्यवस्था हो तो क्या किसी भी व्यक्ति का पत्र उसको पहुँचाया जा सकता है ? इस स्थिति मे तो हमे हरेक व्यक्ति को क्रमश खोजना पड़े, इसलिए १६५८४६२ क्रमाक वाले व्यक्ति तक पहुंचते, दिवस, महीने, वर्ष, कई दशक भी निकल जायें और फिर मनुष्य जाति विहरणगील है अतः किमी कम से भी नहीं खोजा जा सकता और कदाचित् खोजा भी जाय तो कितना समय लग जाए? अगर उसी व्यक्ति को वर्गीकरण के आधार पर खोजा जाए तो एक या दो घडी मे हो खोज हो सकती है। जैसे कि-व्यक्ति १६ ५७,४६२, न ६५ चोथी मंजिल, स्वामी नारायण भवन, तीसरा मोहवाडा, भूलेश्वर, बम्बई।
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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